Sunday, March 6, 2016

सात बचन फेरां का

*** सात बचन फेरां का ***
पेहलो बचन दिनूगै जाग आवै
जद उठूँ बेगा ना जगाइयो
उठतां पाण ही एक कप चाा
गुदडा माहि झलाइयो
लुल्गै भुआरी म्हारे सुं कडे कोनि
ना पानी भरण न जाऊं
औह बचन म्हारो मंजूर होवै
तो थारै डावै अंग माहिं आऊं
दुसरो बचन जाँता ही न्यारी होस्यु
न्यारो घर बनास्या
डांगर पशु राखा कोनि डेयरी पर सुं
थेली आळो दूध ल्यासा
थारै बुढ़िये बुढ़लि गी सेवा मे रे सुं
कोनि होवै मैं पेल्हा ही बताऊं
औह बचन म्हारो मंजूर होवै
तो थारै डावै अंग माहिं आऊं
तीसरो बचन धुवै सुं आँख बलै
ले देइयो गैस कनेक्सन
जेन्टल घाल मशीन सुं गाबा धोंस्या
हाथा क होवै ईफेक्सन
इत्ता गाबा घरां ताबै कोनि आवै
धोबी सुं प्रेस कराऊँ
औह बचन म्हारो मंजूर होवै
तो थारै डावै अंग माहिं आऊं
चौथो बचन गाडो सो दिन क्यां
कटै मनोरंजन क़ बिना
घर म्ही रंगीन टीवी होवै अर
घर की होवै डिश एंटीना
अपो आपणी पसंद गा नाटक देखां
काई बात सर्मिंदगी की
मैं देखूँ कहानी घर घर की
थे देखियो कसोटी ज़िंदगी की
कोई बटाऊ आजै तो मैं बीच म्ही
उठगै चाा कोनि बनाऊं
औह बचन म्हारो मंजूर होवै
तो थारै डावै अंग माहिं आऊं
पांचवों बचन बात करण नै मोबाईल होवै
त्तो जद ही मैं पीयर जाऊं
टायला लागेड़ो न्हाणघर होवै
फुआरो चलागे न्हाऊं
घरा ही सामान ल्यादेइयो पण
सातवें दिन ब्यूटीपार्लर जाऊं
औह बचन म्हारो मंजूर होवै
तो थारै डावै अंग माहिं आऊं
छटो बचन थे मेरे अलावा
कीह कानि न झांकियो
कठै एडै मौके जाओ तो मनै
आगलै पासै राखियो
मेरी पसंद सुं टूम छलौ पहरुं
जिता मर्जी सूट सिमाऊं
औह बचन म्हारो मंजूर होवै
तो थारै डावै अंग माहिं आऊं
सातवों अर आखरी बचन है
ध्यान सुं सुण लेइयो
नित आयेड़ी नन्दा चोखी कोनि लागै
फेर ना कइयो या काई बात
जेठुता जेठुति नान्दया नान्दि सागै
मैं ना नेह लगाऊं याद राखिज्यो
औह बचन म्हारो मंजूर होवै
तो थारै डावै अंग माहिं आऊं

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